Wednesday, September 22, 2010

प्राणी


प्राणीयों कि हिंसा किये बिना
मांस उपलब्ध नहीं हो सकता, और
प्राणी का वध करना सुखदाय नहीं अतः मांस त्याज्य है |
जिस व्यक्ति के दिल में प्राणीयों के प्रति प्रेम नहीं वह
परमात्मा का प्रेम नहीं प सकता |
उत्कृष्ट, मानवीय एवं रोगमुक्त आहार-शाकाहार
प्रसन्नता तो चंदन है दुसरे के माथे पर लगाइये,
आपकी अंगुलियां अपने आप महक उठेगी |
हमने जन प्राणीयों को काटा है मारा है,
खाया है या बलि दी है, उन सबकी बददुआओं से एक
दिन हम पर संकट का पहाड टूट पडेगा | यह एक अटल
सत्य है | अगर कामना लेकर परमात्मा के पास जाओगे तो
परमात्मा संसार है
और कामनाओं से मुक्त होकर संसार के पास जाओगे तो
संसार भी परमात्मा है |
विचार करें - जिन वस्तूओं को हम अपनी मानने है, वे
सदा हमारे साथ रहेगी क्या ?
रंगी को नारंगी कहे, अमूल्य माल को खोया |
चलते को गाडी कहे, देख कबीरा रोया ||
एक बार शरणागत होकर, जो कहता प्रभू ! मैं तेरा |
कर देता मैं अभय उसे, सब भूतों से यह व्रत मेरा ||
पर नारी छानी छुटी, पांच ढोर सुं खाय |
तन छीजे जोबन हरे, पंत पंचों में जाय |
जीवत खावे कालजो, मरयां नरक ले जाय |

1 comment:

  1. आपके ब्लॉग पर आकर अच्छा लगा. हिंदी लेखन को बढ़ावा देने के लिए आपका आभार. आपका ब्लॉग दिनोदिन उन्नति की ओर अग्रसर हो, आपकी लेखन विधा प्रशंसनीय है. आप हमारे ब्लॉग पर भी अवश्य पधारें, यदि हमारा प्रयास आपको पसंद आये तो "अनुसरण कर्ता" बनकर हमारा उत्साहवर्धन अवश्य करें. साथ ही अपने अमूल्य सुझावों से हमें अवगत भी कराएँ, ताकि इस मंच को हम नयी दिशा दे सकें. धन्यवाद . आपकी प्रतीक्षा में ....
    भारतीय ब्लॉग लेखक मंच
    माफियाओं के चंगुल में ब्लागिंग

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